Priyanka Verma

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लेखनी प्रतियोगिता - पहली उड़ान


पहली उड़ान



पहली उड़ान भरना, हमेशा ही कठिन रहा है। किसी के लिए भी। लड़का लड़की, औरत, मर्द कोई भी। अगर इरादे मजबूत हों और खुद पर भरोसा हो तो पहली उड़ान भरना आसान हो जाता है।


वो कहते हैं ना कि "डर के आगे जीत है।"


डर, घबराहट, असफल होने का भय हर किसी को होता है पर मंजिल तक वही पहुंच पाता है जिसे अपने इरादों पर भरोसा होता है।


मानवी भी बचपन से विदेश जाकर  पढ़ने और कुछ अलग करने के सपने देखा करती थी। पर मध्यम वर्गीय परिवार, उसमे भी 3 बहनों में सबसे छोटी मानवी और थोड़े पुराने ख्यालात के उसके पिता जी। दोनों बड़ी बहनों की शादी बारहवीं करते ही हो गई थी और अब मानवी भी बारहवीं की परीक्षा दे चुकी थी। सबसे अलग हटकर उसने विज्ञान संकाय को चुना था। बिना किसी अतिरिक्त सहायता के अपनी अध्यापिका के मार्गदर्शन में रहकर उसने मन लगा कर पढ़ाई की और परीक्षा दी।


अब आगे की पढ़ाई के लिए वो अपने पापा से बात करने में डर रही थी। कल उसका रिजल्ट आने वाला था तो बस इसी घबराहट में वो अपनी मम्मी के पास गई।


मम्मी ने मानवी को देखा और पूछा," क्या हुआ बेटा? इतनी परेशान सी क्यों हो? बताओ मुझे।"


मानवी ने अपनी मां के हाथों को पकड़कर कहा," मम्मी, कल मेरा बारहवीं का रिजल्ट आने वाला है। मैंने बहुत मेहनत की है, और मैं आगे पढ़ना चाहती हूं। पर पापा इसके लिए नही मानेंगे। आप ही कोई रास्ता बताओ।"


मम्मी मानवी की बात सुन थोड़ी परेशान हो गई। आजतक उन्होंने कभी मानवी के पापा की बात नहीं टाली। जो भी फैसला लिया, उसमें उसका पूरा साथ दिया। पर आज वो दोनों के बीच खुद को उलझा हुआ महसूस कर रही थी।

अगले दिन सुबह 9 बजे मानवी कंप्यूटर खोल कर बैठ गई। उसका रिजल्ट जो आने वाला था। अभी उसने रिजल्ट देखा भी नहीं था कि उसके फोन की घंटी बजी। फोन उठाया तो मानवी खुशी से चीख पड़ी। उसकी आवाज सुन मम्मी पापा दोनो दौड़े दौड़े उसके कमरे में आए। मानवी की आंखे आंसुओं से भरी थी। मम्मी ने दर कर मानवी को गले लगा लिया। पापा ने फोन उठाकर अपने कानों से लगाया। जो सुना उसे सुनकर उनके भी खुशी का ठिकाना न रहा। उसकी अध्यापिका का फोन था। मानवी ने स्टेट लेवल पर बारहवीं कक्षा में टॉप किया था और इसके साथ ही उसने जो कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में आगे की पढ़ाई के लिए एप्लीकेशन डाली थी वो भी मंजूर हो गई थी पूरी छात्रवृति के साथ, जिसके बारे में उसने घर पर मम्मी पापा को नही बताया था क्योंकि वो बाहर पढ़ने जाने के लिए आश्वस्त नहीं थी। उसे पता था कि उसके पापा कभी इस बात के लिए राज़ी नहीं होंगे। फिर भी उसने अपनी अध्यापिका के कहने से वो एप्लीकेशन भेज दी थी।

मानवी के घर बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया। पापा की आंखों में अपनी बेटी की सफलता का गर्व साफ दिखाई दे रहा था। मीडिया वाले उसका इंटरव्यू करने घर आए। सवाल जवाब  चल ही थे कि अचानक से किसी ने पूछा, " मानवी जी, आपने स्टेट लेवल पर टॉप किया है और आपको कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से भी कॉल आया है। अब आप आगे क्या करने वाली हैं?"

मानवी को कुछ समझ नहीं आया कि क्या कहे, तभी उसके पापा ने आगे बढ़कर कहा, " मानवी ने जो सफलता हासिल की है वो सब इसकी मेहनत का नतीजा है। आगे ये जो भी करना चाहेगी उसमें हम दोनों इसके साथ हैं।"
मानवी अपने पापा की ये बात सुनकर हैरान रह गई। आंखों में आते हुए आंसुओं को पूंछते हुए वो उनके गले लग गई।

मानवी को उसके मम्मी पापा दिल्ली एयरपोर्ट पर छोड़ने आए थे। अपनी बची खुची जमा पूंजी उन्होंने मानवी के सपने को पूरा करने में लगा दी पर उन्हें इस बात का गर्व भी था कि उनकी बेटी अपनी मेहनत से इस मुकाम तक पहुंची थी।

आज मानवी अपने सपनों की तरफ पहली उड़ान भरने को पूरी तरह तैयार है। उसने जो सोचा था, उसे मिल गया। पर अभी उसे अपने मम्मी पापा के भरोसे पर खरा उतरना था। अपनी लगन, मेहनत और विश्वाश के कारण वो नई दुनिया की ओर बढ़ चली अपने सपनों को हकीकत में बदलने।



स्वरचित :-
प्रियंका वर्मा





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5 Comments

Pallavi

29-Jun-2022 10:13 PM

Very nice 👍

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Shnaya

27-Jun-2022 04:55 PM

शानदार

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Gunjan Kamal

27-Jun-2022 11:09 AM

बहुत खूब

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